दोस्तों ये खबर तो आपने पढ़ी ही होगी कि गुजरात गौसेवा एवं गौचर विकास विकास बोर्ड ने गायों के संरक्षण के अपने प्रयास के तहत महिलाओं से कहा है कि वे रासायनिक सौंदर्य प्रसाधनों का त्याग करें और अपने सौंदर्य को सदाबहार बनाने के लिए गोमूत्र, गोबर और दुग्ध उत्पादों का इस्तेमाल करें.Sprinkle Cow Urine…
दोस्तों ये खबर तो आपने पढ़ी ही होगी कि गुजरात गौसेवा एवं गौचर विकास विकास बोर्ड ने गायों के संरक्षण के अपने प्रयास के तहत महिलाओं से कहा है कि वे रासायनिक सौंदर्य प्रसाधनों का त्याग करें और अपने सौंदर्य को सदाबहार बनाने के लिए गोमूत्र, गोबर और दुग्ध उत्पादों का इस्तेमाल करें.
ऐसी ही एक नई खबर हम आपके लिए लाये हैं जिसे पढ़कर आप हैरान हो जायेंगे. गुजरात विकास बोर्ड ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर ‘आरोग्य गीता’ में एक एडवाइज़री में प्रकाशित किया है कि शैतान और ड्रैकुला जैसी शक्तियों से छुटकारा पाने के लिए गोमूत्र का छिड़काव करना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने गोमूत्र के धर्म और ग्रंथों में लिखे महत्व को भी समझाया है.
उनका दावा है कि गोमूत्र कई तरह की बीमारियों को दूर करने में भी सहायक है. लेकिन ये भूत-बाधाओं को दूर करने में भी कारगर है ये बात पहली बार सामने आई है. गाय के गोबर, दूध और गोमूत्र के गुणों और फायदों को आधार मानकर बनाई गई है ये एडवाइज़री. गुजरात गौसेवा एवं गौचर विकास विकास बोर्ड ने पश्चिमी सभ्यता के काल्पनिक पात्र ड्रैकुला को एक सबूत के तौर पर पेश करते हुए यह माना है कि वेस्टर्न वर्ल्ड के लोग भी भूत-प्रेत में विश्वास करते हैं.
उनका दावा है कि इन सब अदृश्य शक्तियों की वजह से लोगों में होने वाली समस्याओं को दूर करने और भूतों को भगाने में केवल गोमूत्र ही कारगर साबित होता है. एडवाइज़री में लिखा है कि, “कई बीमारियां तभी होती हैं, जब शैतान की आत्मा या भूत इंसान के शरीर में प्रवेश करता है. इनको शास्त्रों (हिंदू ग्रंथों) में ‘भूतमिष्टांग’ रोग कहा जाता है.” कैसे गोमूत्र का छिड़काव करने से भूतबाधा दूर भागती है, इस बारे में ‘आरोग्य गीता’ का कहना है कि, भगवान शिव को भूतों का देवता माना जाता है और उनके बालों में गंगा का वास है.
नंदी बैल (जिसे हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है) शिव जी का वाहन है. गोमूत्र में गंगा शामिल है. भूत-प्रेत गोमूत्र से दूर भागते हैं क्योंकि नंदी बैल गौमाता के पुत्र हैं. गौमाता गाय की भी माता हैं. ऐसा एडवाइज़री में लिखा है. हालांकि मॉडर्न साइंस में भूत-प्रेतों का कोई अस्तित्व नहीं है, लेकिन कई सभ्यताओं में आज भी भूत-प्रेत, पिशाच, बुरी ताकतों और चुड़ैलों के अस्तित्व को माना जाता है.
पश्चिमी ईसाई सभ्यता के लग ड्रैकुला को मानते हैं. इस पर कई फिल्म्स भी बनाई गई हैं. वहीं इस्लाम में लोग शैतान के अस्तित्व को मानते हैं. ये सब आरोग्य गीता में लिखा है. बोर्ड के चैयरमैन डॉ. वल्लभ कठिरिया ने बताया कि लेखकों के द्वारा लिखित एडवाइज़री में भूतों पर जो विचार हैं वो उनके लेखक के ही हैं. इसके साथ ही कठिरिया कहते हैं कि हालांकि भूतों के होने या न होने और दूसरी अदृश्य शक्तियों पर भी रिसर्च होनी चाहिए. वर्तमान में लोग भूतों और शैतानी ताक़तों को नहीं मानते हैं, लेकिन फिर भी इस क्षेत्र में रिसर्च की जानी चाहिए
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