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सुध महादेव मंदिर, जम्मू – यहाँ पर है भगवान शिव का खंडित त्रिशूल

सुध महादेव मंदिर, जम्मू – यहाँ पर है भगवान शिव का खंडित त्रिशूल
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Sudh Mahadev History in Hindi : जम्मू से 120 किलो मीटर दूर तथा समुद्र तल से 1225 मीटर की ऊंचाई पर, पटनीटॉप के पास सुध महादेव (शुद्ध महादेव) का मंदिर स्तिथ है। यह मंदिर शिवजी के प्रमुख मंदिरो में से एक है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहाँ पर एक विशाल…

यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Mantalai and  Pap Nashini Baoli and  Pauranik Story of Sudh Mahadev and  Sudh Mahadev and  जम्मू and  भगवान शिव and  सुध महादेव मंदिर  

Sudh Mahadev History in Hindi : जम्मू से 120 किलो मीटर दूर तथा समुद्र तल से 1225 मीटर की ऊंचाई पर, पटनीटॉप के पास सुध महादेव (शुद्ध महादेव) का मंदिर स्तिथ है। यह मंदिर शिवजी के प्रमुख मंदिरो में से एक है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहाँ पर एक विशाल त्रिशूल के तीन टुकड़े जमीन में गड़े हुए है जो की पौराणिक कथाओ के अनुसार स्वंय भगवान शिव के है।

Sudh Mahadev Temple Patnitop Jammu in Hindi :-

इस मंदिर से कुछ दुरी पर माता पार्वती की जन्म भूमि मानतलाई है। इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 2800 वर्ष पूर्व हुआ था जिसका की पुनर्निर्माण लगभग एक शताब्दी पूर्व एक स्थानीय निवासी रामदास महाजन और उसके पुत्र ने करवाया था। इस मंदिर में एक प्राचीन शिवलिंग नंदी और शिव परिवार की मुर्तिया है।

सुध महादेव की पौराणिक कथा (Pauranik Story of Sudh Mahadev) :-

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जैसा की हमने आपको ऊपर बताया की सुध महादेव के पास ही मानतलाई है जो की माता पार्वती की जन्म भूमि है।  पुराणो की कहानी के अनुसार माता पार्वती नित्य मानतलाई से इस मंदिर में पूजन करने आती थी । एक दिन जब पार्वती वहां पूजा कर रही थी तभी सुधान्त राक्षस, जो की स्वंय भगवान शिव का भक्त था, वहां पूजन करने आया। जब सुधान्त ने माता पार्वती को वहां पूजन करते देखा तो वो पार्वती से बात करने के लिए उनके समीप जाकर खड़े हो गए।  जैसे ही माँ पार्वती ने पूजन समाप्त होने के बाद अपनी आँखे खोली वो एक राक्षस को अपने सामने खड़ा देखकर घबरा गई।  घबराहट में वो जोर जोर से चिल्लाने लगी। उनकी ये चिल्लाने की आवाज़ कैलाश पर समाधि में लीन भगवान शिव तक पहुंची। महादेव ने पार्वती की जान खतरे में जान कर राकक्ष को मारने के लिए अपना त्रिशूल फेका।  त्रिशूल आकर सुधांत के सीने में लगा। उधर त्रिशूल फेकने के बाद शिवजी को ज्ञात हुआ की उनसे तो अनजाने में बड़ी गलती हो गई।  इसलिए उन्होंने वहां पर आकर सुधांत को पुनः जीवन देने की पेशकश करी पर दानव सुधान्त ने इससे यह कह कर मना कर दिया की वो अपने इष्ट देव के हाथो से मरकर मोक्ष प्राप्त करना चाहता है। भगवान ने उसकी बात मान ली और कहाँ की यह जगह आज से तुम्हारे नाम पर सुध महादेव के नाम से जानी जायेगी। साथ ही उन्होंने उस त्रिशूल के तीन टुकड़े करकर वहां गाड़ दिए जो की आज भी वही है।  हालांकि कई जगह सुधांत को दुराचारी राक्षस भी बताया गया है और कहा जाता है की वो मंदिर में माँ पार्वती पर बुरी नियत से आया था इसलिए भगवान शिव ने उसका वध कर दिया।मंदिर परिसर में एक ऐसा स्थान भी है जिसके बारे में कहा जाता है की यहाँ सुधान्त दानव की अस्थियां रखी हुई है।

ये तीनो टुकड़े मंदिर परिसर में खुले में गड़े हुए है।  इसमें सबसे बड़ा हिस्सा त्रिशूल के ऊपर वाला हिस्सा है। मध्यम आकर वाला बीच का हिस्सा है तथा सबसे नीचे का हिस्सा सबसे छोटा है जो की पहले थोड़ा सा जमीन के ऊपर दिखाई देता था पर मदिर के अंदर टाईल लगाने के बाद वो फर्श के लेवल के बराबर हो गया है।  इन त्रिशूलों के ऊपर किसी अनजान लिपि में कुछ लिखा हुआ है जिसे की आज तक पढ़ा नहीं जा सका है। यह त्रिशूल मंदिर परिसर में खुले में गड़े हुए है और भक्त लोग इनका नित्य जलाभिषेक भी करते है।

पाप नाशनी बाउली (Pap Nashini Baoli) :

मंदिर के बाहर ही पाप नाशनी बाउली (बावड़ी) है जिसमे की पहाड़ो से 24 घंटे 12 महीनो पानी आता रहता है। ऐसी मान्यता है की इसमें नहाने से सारे पाप नष्ट हो जाते है। अधिकतर भक्त इसमें स्नान करने के बाद ही मंदिर में जाते है।

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बाबा रूपनाथ की धूणी :

इस मंदिर में नाथ सम्प्रदाय के संत बाबा रूप नाथ ने सदियों पहले समाधि ली थी उनकी धूणी आज भी मंदिर परिसर में है जहाँ की अखंड ज्योत जलती रहती है।

मानतलाई (Mantalai) :

यह सुध महादेव से 5 किलो मीटर दूर है। यही माता पार्वती का जन्म और शिव जी से उनका विवाह हुआ था। यहाँ पर माता पार्वती का मंदिर और गौरी कुण्ड देखने लायक जगह है।

सावन में भरता है मेला :

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श्रावण मास की पूर्णिमा पर यहाँ तीन दिवसीय मेला भरता है जिसमे पुरे भारत से शिव भक्त इकठ्ठे होते है। तब यहां का नज़ारा अविस्मरणीय होता है।


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2012-02-24T23:15:17+05:30
Indian Spiritual Team
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