करवा चौथ भारत में मुख्यतः उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मनाया जाता है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला यह व्रत इस बार 19 अक्टूबर दिन बुधवार को मनाया जायेगा| करवा चौथ का पर्व सुहागिन स्त्रियाँ मनाती हैं| पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए…
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करवा चौथ भारत में मुख्यतः उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मनाया जाता है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला यह व्रत इस बार 19 अक्टूबर दिन बुधवार को मनाया जायेगा| करवा चौथ का पर्व सुहागिन स्त्रियाँ मनाती हैं| पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन चन्द्रमा की पूजा की जाती है| चंद्रमा के साथ- साथ भगवान शिव, पार्वती जी, श्रीगणेश और कार्तिकेय की पूजा की जाती है| करवाचौथ के दिन उपवास रखकर रात्रि समय चन्द्रमा को अर्ध्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है|
कार्तिक माह की कृष्ण चन्द्रोदयव्यापिनी चतुर्थी के दिन किया जाने वाला करक चतुर्थी व्रत स्त्रियां अखंड़ सौभाग्य की कामना के लिए करती हैं| इस व्रत में शिव-पार्वती, गणेश और चन्द्रमा का पूजन किया जाता है| इस शुभ दिवस के उपलक्ष्य पर सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं| पति-पत्नी के आत्मिक रिश्ते और अटूट बंधन का प्रतीक यह करवाचौथ या करक चतुर्थी व्रत संबंधों में नई ताज़गी एवं मिठास लाता है| करवा चौथ में सरगी का काफी महत्व है| सरगी सास की तरफ से अपनी बहू को दी जाने वाली आशीर्वाद रूपी अमूल्य भेंट होती है|
करवा चौथ में प्रयुक्त होने वाली संपूर्ण सामग्री को एकत्रित करें| व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये। करवा चौथ का व्रत पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए रहा जाता है| दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इसे वर कहते हैं। चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है। उसके बाद आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और पक्के पकवान बनाएं। उसके बाद पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं। ध्यान रहे गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं। चौक बनाकर आसन को उस पर रखें। गौरी को चुनरी ओढ़ाएं। बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें। उसके बाद जल से भरा हुआ लोटा रखें। वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं। गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति की दीर्घायु की कामना करें।
‘नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥’ करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासूजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। तेरह दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें। रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें।इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें। पूजन के पश्चात आस-पड़ोस की महिलाओं को करवा चौथ की बधाई देकर पर्व को संपन्न करें।
इस पर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित है, जिनमें एक बहन और सात बहनों की कथा बहुत प्रसिद्ध है| बहुत समय पहले की बात है, एक लडकी थी, उसके साथ भाई थें, उसकी शादी एक राजा से हो गई| शादी के बाद पहले करवा चौथ पर वो अपने मायके आ गई| उसने करवा चौथ का व्रत रखा, लेकिन पहला करवा चौथ होने की वजह से वो भूख और प्यास बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी| वह बडी बेसब्री से चांद निकलने की प्रतिक्षा कर रही थी|