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मान्यता है की इन भव्य मंदिरों का निर्माण हुआ था एक रात में

मान्यता है की इन भव्य मंदिरों का निर्माण हुआ था एक रात में
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भारत देश में अनेकों प्राचीन मंदिर है। हर मंदिर के निर्माण से जुडी अपनी एक कहानी है। इनमे से अनेक कहानियां ऐसी है जो हैरान करने वाली है। आज हम आपको ऐसे ही 5 भव्य मंदिरों के निर्माण की कहानी बता रहे है। इनके बारे में मान्यता है की इनका निर्माण एक ही रात में…

यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : bhojeshwar temple and  Deoghar Temple and  Ek Hathiya Deval and  Govind dev ji Temple and  Jharkhand and  Madhya Pradesh and  Uttarakhand and  Vrindavan and  उत्तराखंड and  एक हथिया देवाल and  ककनमठ and  गोविंद देवजी मंदिर and  झारखंड and  देवघर मंदिर and  भोजेश्वर मंदिर and  मध्यप्रदेश and  वृंदावन  

भारत देश में अनेकों प्राचीन मंदिर है। हर मंदिर के निर्माण से जुडी अपनी एक कहानी है। इनमे से अनेक कहानियां ऐसी है जो हैरान करने वाली है। आज हम आपको ऐसे ही 5 भव्य मंदिरों के निर्माण की कहानी बता रहे है। इनके बारे में मान्यता है की इनका निर्माण एक ही रात में हुआ था।

Temples Which Build In 1 Night in Hindi :-

लेक‌िन, इन मं‌द‌िरों को देखने के बाद इस बात पर विश्वास कर पाना बड़ा मुश्किल होता है क्योंक‌ि ये मंद‌िर इतने व‌िशाल हैं क‌ि इस तरह के मंद‌िर बनवाने शुरू करें तो वर्षों लग जाएंगे। लेक‌िन कथाएं और मान्यताएं तो यही कहती हैं क‌ि एक चमत्कार की तरह यह मंद‌िर रातभर में बनकर तैयार हो गए।

आइए जानते है इन मंदिरों के बारे में

भोजेश्वर मंदिर, मध्यप्रदेश (Bhojeshwar Temple, Madhya Pradesh):-

{ पढ़ें :- भोजेश्वर मंदिर : यहाँ है एक ही पत्थर से निर्मित विशव का सबसे बड़ा शिवलिंग }

भोजपुर मध्य प्रदेश कि राजधानी भोपाल से 32 किलो मीटर दूर स्तिथ है। भोजपुर से लगती हुई पहाड़ी पर एक विशाल, अधूरा शिव मंदिर हैं। यह भोजपुर शिव मंदिर या भोजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं। भोजपुर तथा इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई – 1055 ई ) द्वारा किया गया था। इसका निर्माण अधूरा क्यों रखा गया इस बात का इतिहास में कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं है पर ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक ही रात में निर्मित होना था परन्तु छत का काम पूरा होने के पहले ही सुबह हो गई, इसलिए काम अधूरा रह गया। इस मंदिर कि विशेषता इसका विशाल शिवलिंग हैं जो कि विशव का एक ही पत्थर से निर्मित सबसे बड़ा शिवलिंग हैं। सम्पूर्ण शिवलिंग कि लम्बाई 5.5 मीटर (18 फीट ), व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट ), तथा केवल लिंग कि लम्बाई 3.85 मीटर (12 फीट ) है।

गोविंद देवजी मंदिर, वृंदावन  (Govind dev ji Temple, Vrindavan) :-

भगवान श्री कृष्‍ण की लीलास्‍थली वृंदावन में गोव‌िंद देव जी का मंद‌िर है। इस मंद‌िर के न‌िर्माण की कथा भी कृष्‍ण की लीला की तरह अद्भुत है। कहते हैं क‌ि यह मंद‌िर एक रात में बनकर तैयार हुआ है। इस मंद‌िर को करीब से देखने पर अधूरा सा लगता है। कहते हैं क‌ि भूतों ने या द‌िव्य शक्त‌ियों ने पूरी रात में इस मंद‌िर को तैयार क‌िया है। सुबह होने से पहले ही क‌िसी ने चक्की चलानी शुरु कर दी ज‌िसकी आवाज से मंद‌िर का न‌िर्माण करने वाले काम पूरा क‌िए ब‌िना चले गए।

देवघर मंदिर, झारखंड (Deoghar Temple, Jharkhand) :-

{ पढ़ें :- इस मंदिर में सिर्फ ‘पानी’ से ही जल उठते है दीपक! }

झारखंड स्‍थ‌ित‌ि देवघर के मंद‌िर के व‌िषय में भी कथा है क‌ि देव श‌िल्पी व‌िश्वकर्मा ने यहां मंद‌िरों के न‌िर्माण का काम एक रात में क‌िया है। मंद‌िर प्रांगण में देवी पार्वती का मंद‌िर बाबा बैजनाथ और व‌िष्‍णु मं‌द‌िर से छोटा है। इसके पीछे कथा है क‌ि देवी पार्वती के मंद‌िर का न‌िर्माण कार्य होते-होते सुबह हो गई ज‌िससे मंद‌िर अधूरा रह गया। देवघर के मंद‌िर की एक अनूठी बात यह है क‌ि इसमें प्रवेश का मात्र एक दरवाजा है।

एक हथिया देवाल, उत्तराखंड  (Ek Hathiya Deval, Uttarakhand) :-

उत्तराखंड के प‌िथौरागढ़ में एक शिव मंद‌िर स्थापित है, जिसका नाम है हथ‌िया देवाल। इस मंद‌िर के बारे में मान्यता है क‌ि एक हाथ वाले श‌िल्पकार ने एक रात में ही इस मंद‌िर का न‌िर्माण कर द‌िया था। रात्रि में शीघ्रता से बनाये जाने के कारण शिवलिंग का अरघा विपरीत दिशा में बना दिया गया था। बस इसी के चलते रातो रात स्थापित हुये इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, भगवान भोलेनाथ का दर्शन करते हैं, मंदिर की अनूठी स्थापत्य कला को निहारते हैं और पुनः अपने घरों को लौट जाते हैं। यहां भगवान की पूजा नहीं की जाती।

ककनमठ, मध्यप्रदेश  (Kakanmath, Madhya pradesh) :-

मध्यप्रदेश के मुरैना ज‌िला से करीब 20 क‌िलोमीटर की दूरी पर एक प्राचीन श‌िव मंद‌िर है ककनमठ। कच्‍छवाहा वंश के राजा कीर्त‌ि स‌िंह के शासन काल में बने इस मंद‌िर को लेकर एक क‌िंवद‌ंती है क‌ि यह मंद‌िर एक रात में बना है ज‌िसका न‌िर्माण भोलेनाथ के गण यानी भूतों ने क‌िया है। इस मंद‌िर में एक कमाल की बात यह भी है क‌ि इसके न‌िर्माण में गाड़े या चूने का प्रयोग नहीं है। पत्‍थरों पर पत्‍थर इस तरह रखे गए हैं क‌ि उनके बीच संतुलन बना हुआ है और आंधी तूफान भी इसे ह‌िला नहीं सकते।

{ पढ़ें :- भारत के इन मंदिरों में आज भी होता है जादू-टोना ! }


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2012-02-18T12:02:41+05:30
Indian Spiritual Team
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