भारत में मनाएं जाने वाले प्रमुख त्योहार में से एक त्योहार, गणेश चतुर्थी है। इस दिन भगवान गणेश का जन्म मनाया जाता है। भगवान गणेश को हिंदू धर्म में ज्ञान, बुद्धि और अच्छे भाग्य का प्रतीक माना जाता है।The Story Behind Ganesh Chaturthi in Hindi :- इस पर्व को विनायक चतुर्थी के नाम से भी…
भारत में मनाएं जाने वाले प्रमुख त्योहार में से एक त्योहार, गणेश चतुर्थी है। इस दिन भगवान गणेश का जन्म मनाया जाता है। भगवान गणेश को हिंदू धर्म में ज्ञान, बुद्धि और अच्छे भाग्य का प्रतीक माना जाता है।
इस पर्व को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं। इस दिन, महाराष्ट्र राज्य के हर घर में उत्सव का माहौल होता है।
क्या है इसका इतिहास
गणेश चतुर्थी को सबसे पहले छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठा क्षेत्र में मनाया था। दंत कथाओं में यह बतलाया जाता है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र के रूप में गणेश जी का आर्भिभाव हुआ था।
भगवान गणेश के जन्म को लेकर कई प्रकार की कथाएं कही जाती हैं।
सबसे प्रचलित कथा यह है कि एक बार भगवान शिव कहीं बाहर गए हुए थे, उनकी अनुपस्थिति में देवी पार्वती ने अपने शरीर पर उबटन लगाया। उबटन को छुड़ाकर उन्होने एक मूर्ति बना दी, उससे बाल गणेश का सृजन हुआ। इसके बाद, देवी पार्वती नहाने के लिए चली गई और उन्होने बाल गणेश को अपने दरवाजे पर पहरा देने के लिए कहा।
बाल गणेश, दरवाजे पर पहरा देने लगे कि तभी भगवान शंकर आ गए। उन्होने अंदर जाने का प्रयास किया तो गणेश ने उन्हे रोक दिया। भगवान शंकर को गुस्सा आ गया, उन्होने गणेश का सिर, धड़ से अलग कर दिया। तब तक माता पार्वती निकल आई।
उन्हें देखकर क्रोध आ गया। उन्होने काली का रूप धर लिया। भगवान शंकर ने पूरी बात सुनने के बाद क्षमा मांगी और गणेश को जीवित करने का हल ढूंढा।
उन्होने अपने गणों से कहा किसी ऐसे बच्चे का सिर ले आना, जिसकी मां उसकी तरफ पीठ करके सो गई हों। गण, एक हथिनी के बच्चे का सिर ले आएं, जो दूसरी ओर मुंह करके सोई थी। भगवान शंकर ने उस सिर को गणेश के धड़ से जोड़ दिया।
इस प्रकार, बाल गणेश पुन: जीवित हो गए और माता पार्वती प्रसन्न हो गई। तब से इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से जानते हैं। पूरे महाराष्ट्र में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है।