अगर सीधे तौर पर देखा जाए तो हम मूर्ती की पूजा नहीं करते हैं। मूर्ती, छवि या चित्र के माध्यम से हम भगवान की पूजा करते हैं, जो कि सर्वव्यापी है।The Value Worshipping God Through An Idol in Hindi :- छवि भगवान का प्रतीक है, यह हमारे दिमाग में भगवान की एक छवि बनाने में…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : धार्मिक ग्रंथ
अगर सीधे तौर पर देखा जाए तो हम मूर्ती की पूजा नहीं करते हैं। मूर्ती, छवि या चित्र के माध्यम से हम भगवान की पूजा करते हैं, जो कि सर्वव्यापी है।
छवि भगवान का प्रतीक है, यह हमारे दिमाग में भगवान की एक छवि बनाने में मदद करता है, जिससे हम उनकी मन लगा कर पूजा कर सकें।
उदाहरण के तौर पर एक मां अपने छोटे से बच्चे को तोते का चित्र दिखा कर उसे यह बताती है कि “यह एक तोता है”। जिससे कि वह बच्चा जान सके कि असल में तोता कैसा दिखाई देता है। एक बार बडे़ हो जाने के बाद बच्चे को पक्षियों को पहचानने के लिये चित्रों की जरुरत नहीं पड़ती।
इसी तहर से शुरुआत में मन को मदद करने के लिये कुछ उपकरणों की आवश्यकता होती है। एक बार जब इंसान आध्यात्मिक अभ्यास कर लेता है, तब उसके मन को मूर्ती या चित्र की आवश्यकता नहीं पड़ती। एक छवि पर फोकस कर के आप अपने दिमाग को केंद्रित करने में प्रशिक्षित करते हैं, जो कि एक अच्छा तरीका है।
हांलाकि हम यह नहीं कह सकते हैं कि भगवान मूर्ती या छवि में मौजूद नहीं हैं। भगवान हर जीव-जन्तु तथा निर्जीव चीजों में प्रकट हैं इसलिये वह छवि में भी मौजूद हैं।
छवि की पूजा करने से यह भी मतलब निकाला जा सकता है कि हर इंसान को हर जीव-जंतु से प्यार करना आना चाहिये और दुनिया में शांति फैलानी चाहिये।
कुछ धर्म जो छवि पूजा का विरोध करते हैं वास्तव में, वह भी किसी न किस रूप में मूर्ती पूजा जरूर करते हैं। एक ईसाई यीशु की पूजा क्रॉस के माध्यम से करता है या फिर एक मुस्लिम अपनी नमाज़ काबा की ओर मुंह कर के पढ़ता है।
छवि पूजा के नकारात्मक पक्ष यह होते हैं कि लोग यह समझने लगते हैं कि भगवान केवल मूर्ती में ही समाए हुए हैं। वह उसके पीछे के सिद्धांत को भूल जाता है। वह बार बार गल्तियां करता जाता है और मूर्ती के सामने माथा टेक कर छमा मांग लेता है।