कहा जाता है कि देवी माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में भी इस पूर्णिमा को विशेष बताया गया है। इस बार शरद पूर्णिमा 15 अक्टूबर, शनिवार को है ऐसा माना जाता है कि इस…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Goddess Lakshmi and moon and मां लक्ष्मी
कहा जाता है कि देवी माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में भी इस पूर्णिमा को विशेष बताया गया है। इस बार शरद पूर्णिमा 15 अक्टूबर, शनिवार को है ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें विशेष अमृतमयी गुणों से युक्त रहती हैं, जो कई बीमारियों का नाश कर देती हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद व्रत रखें। तांबे या मिट्टी के कलश पर वस्त्र से ढंकी हुई लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित कर उनकी पूजा करें। शाम को चंद्रोदय होने पर सोने, चांदी या मिट्टी के घी से भरे 100 दीपक जलाएं। इसके बाद घी मिश्रित खीर तैयार करें और उसे चंद्रमा की चांदनी में रखें। जब एक पहर यानी तीन घंटे बीत जाएं, तब लक्ष्मी को सारी खीर अर्पित करें। इसके बाद सात्विक ब्राह्मणों को इस प्रसाद रूपी खीर का भोजन कराएं। फिर खुद प्रसाद ग्रहण करें।
साथ ही माता यह भी देखती हैं कि कौन भक्त रात में जागकर उनकी भक्ति कर रहा है। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को कोजागरा भी कहा जाता है। कोजागरा का शाब्दिक अर्थ है कौन जाग रहा है। मान्यता है कि जो इस रात में जगकर मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं मां लक्ष्मी की उन पर कृपा होती है। शरद पूर्णिमा के विषय में ज्योतिषीय मत है कि जो इस रात जगकर लक्ष्मी की उपासना करता है उनकी कुण्डली में धन योग नहीं भी होने पर माता उन्हें धन-धान्य से संपन्न कर देती हैं। इस रात्रि को कुछ लोग चाँद की तरफ देखते हुए सुई में धागा पिरोते है। कुछ लोग काली मिर्च को चांदनी में रख कर सेवन करते है। माना जाता है की इनसे आँखों स्वस्थ होती है और उनकी रौशनी बढ़ती है। आयुर्वेद के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन खीर को चन्द्रमा की किरणों में रखने से उसमे औषधीय गुण पैदा हो जाते है। और इससे कई असाध्य रोग दूर किये जा सकते है। खीर खाने का अपना औषधीय महत्त्व भी है। इस समय दिन में गर्मी होती है और रात को सर्दी होती है। ऋतु परिवर्तन के कारण पित्त प्रकोप हो सकता है। खीर खाने से पित्त शांत रहता है। इस प्रकार शारीरिक परेशानी से बचा जा सकता है। शरद पूर्णिमा की रात में खीर का सेवन करना इस बात का प्रतीक है कि शीत ऋतु में हमें गर्म पदार्थों का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसी से हमें जीवनदायिनी ऊर्जा प्राप्त होगी।