हमारे समाज में कुंडली मिलान की प्रथा इतनी व्यापक हो गई है कि अच्छा संबंध मिलने पर भी मेलापक के गुणों अथवा मांगलिक दोष के कारण बात अटक जाती है। शादी विवाह इच्छुक युवा युवातिओं को और उनके अभिभावकों को कुंडली मिलाप में मांगलिक दोष सबसे बड़ा विघ्न साबित हो रहा है।Truth About Being Born…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : marriage and विवाह
हमारे समाज में कुंडली मिलान की प्रथा इतनी व्यापक हो गई है कि अच्छा संबंध मिलने पर भी मेलापक के गुणों अथवा मांगलिक दोष के कारण बात अटक जाती है। शादी विवाह इच्छुक युवा युवातिओं को और उनके अभिभावकों को कुंडली मिलाप में मांगलिक दोष सबसे बड़ा विघ्न साबित हो रहा है।
इसी दोष के कारण ऐसे कई युगल शादी के पवित्र संबंध से वंचित रह जाते है जो अन्यथा सब तरह से एक दूसरे के लिए श्रेष्ठ हो सकते थे। समाज के सभी वर्गों में अब कुंडली मिलाने का प्रचालन बढ़ रहा है और इसके साथ साथ मांगलिक दोष की अवधारणा भी बढ़ते बढते एक फोबिया का रूप धारण कर रहा है। कुंडली मिलाएं या नहीं, मांगलिक दोष से किस प्रकार निपटें, यही इस लेख की चर्चा का विषय है, जो आज अधिकांश माता-पिताओं का सरदर्द बना हुआ है।
मांगलिक दोष की ज्योतिषीय परिभाषा पर आएं तो लग्न कुंडली में यदि मंगल लग्न में, चैथे, सातवें, आठवें अथवा बारहवें भाव में हो तो मांगलिक दोष कहलाता है। इस परिभाषा के आधार पर तो प्रति 10 में से चार स्त्री-पुरूष मांगलिक होने चाहिए। चंद्र राशि से भी यदि मंगल इन्हीं स्थानों में होता है तब भी कमोवेश मांगलिक दोष (चंद्र मंगली) माना जाता है। इन्हीं स्थानों पर यदि शनि और राहु हों या दूसरे व तीसरे भाव में भी हो तो उसका अशुभ प्रभाव भी विवाहित जीवन पर पड़ता है। दूसरे भाव के मंगल, शनि व राहु जातक को क्रोधी व कुटुंब से विरोध करने वाला बना सकते हैं, जबकि ये तीसरे भाव में शासनिक प्रवृत्ति प्रदान करते हैं, जो दफ्तर व व्यवसाय में तो लाभकारी हो सकती है परंतु पारिवारिक जीवन में नहीं।
व्यक्ति का शरीर, स्वास्थ्य, व्यक्तित्व का विचार किया जाता है। लग्न भाव में मंगल होने से व्यक्ति उग्र एवं क्रोधी होता है। यह मंगल हठी और आक्रमक भी बनाता है। इस भाव में उपस्थित मंगल की चतुर्थ दृष्टि सुख स्थान पर होने से गृहस्थ सुख में कमी आती है। सप्तम दृष्टि जीवन साथी के स्थान पर होने से पति पत्नी में विरोधाभास एवं दूरी बनी रहती है। अष्टम भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि जीवनसाथी के लिए संकट कारक होता है।