पूर्व और उत्तर भारत में विश्वकर्मा पूजन किया जाता है। इस दिन सभी कार्यस्थलों, फैक्टरियों, माइन्स, कम्पनियों आदि में मशीनों, औजारों आदि की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा, एक देवता थे जिन्होने संसार को बनाया। वह भगवान ब्रह्मा के पुत्र थे और ईश्वर के रहने वाले सभी स्थानों का निर्माण…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Lord Vishwakarma and North India
पूर्व और उत्तर भारत में विश्वकर्मा पूजन किया जाता है। इस दिन सभी कार्यस्थलों, फैक्टरियों, माइन्स, कम्पनियों आदि में मशीनों, औजारों आदि की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा, एक देवता थे जिन्होने संसार को बनाया। वह भगवान ब्रह्मा के पुत्र थे और ईश्वर के रहने वाले सभी स्थानों का निर्माण भी उन्होने ने ही किया था। ईश्वर के उड़ने वाले विमानों का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया था, ईश्वरों के सभी शस्त्राें को भी विश्वकर्मा देवता ने बनाया था। हिंदुशास्त्रों की मानें तो देवता विश्वकर्मा, आज के युग की भाषा में इंजीनियर थे। विश्वकर्मा पूजन का दिन उन्ही को समर्पित है। इस दिन सभी कार्यो को बंद करके, पूजन किया जाता है और ज्यादा कार्य और समृद्धि की कामना की जाती है।
विश्वकर्मा पूजन से जुड़ी कहानियां : हिंदु पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को देव शिल्पी के नाम से जाना जाता है। ऋगवेद में भगवान विश्वकर्मा का वर्णन अच्छी तरह किया गया है।
ऐसा माना जाता है कि सभी पौराणिक संरचनाएं, भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित हैं। भगवान विश्वकर्मा के जन्म को देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से माना जाता है। पौराणिक युग के अस्त्र और शस्त्र, भगवान विश्वकर्मा द्वारा ही निर्मित हैं। वज्र का निर्माण भी उन्होने ही किया था।
माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही लंका का निर्माण किया था। इसके पीछे कहानी है कि भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए एक महल का निर्माण करने के लिए भगवान विश्वकर्मा को कहा, तो भगवान विश्वकर्मा ने सोने के महल को बना दिया। इस महल के पूजन के दौरान, भगवान शिव ने राजा रावण को आंमत्रित किया। रावध, महल को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया और जब भगवान शिव ने उससे दक्षिणा में कुछ लेने को कहा, तो उसने महल ही मांग लिया। भगवान शिव ने उसे महल दे दिया और वापस पर्वतों पर चले गए।
इसी प्रकार, भगवान विश्वकर्मा की एक कहानी और है- महाभारत में पांडव जहां रहते थे, उस स्थान को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था। इसका निर्माण भी विश्वकर्मा ने किया था। कौरव वंश के हस्तिनापुर और भगवान कृष्ण के द्वारका का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया था।
अंत: विश्वकर्मा पूजन, भगवान विश्वकर्मा को समर्पित एक दिन है। इस दिन का औद्योगिक जगत और भारतीय कलाकारों, मजबूरों, इंजीनियर्स आदि के लिए खास महत्व है। भारत के कई हिस्सों में इस दिन काम बंद रखा जाता है और खूब पंतबाजी की जाती है।