गणेश विसर्जन हो या नवरात्रि ईश्वर की सुंदर मूर्तियों को पूजन के बाद विसर्जित करने का विधान हैं। ऐसा क्यों हैं?We Do Immerse Sculpture In Water in Hindi :- यह बात बहुत कम लोगों को मालूम होगी। दरअसल पुराणों में वर्णित है कि जल को ब्रह्म स्वरूप माना गया है। सृष्टि के शुरुआत जल में…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Ganesh and Ganesh Chaturthi and Ganesh Chaturthi Festival and Ganesh Jayanti and Ganesha Chaturthi and God and Hindu Festival and Navratri and Shukla Chaturthi and Vinayaka Chaturthi and क्यों जल में विसर्जित की जाती है and खंडित मूर्ति का क्या करे and गणेश चतुर्थी and गणेश विसर्जन and मूर्ति को जल में ही क्यों विसर्जन करते हैं and विनायक गणेश चतुर्थी and विनायक चतुर्थी and विसर्जन का अर्थ and शुक्ला चतुर्थी and सुंदर मूर्तियों
गणेश विसर्जन हो या नवरात्रि ईश्वर की सुंदर मूर्तियों को पूजन के बाद विसर्जित करने का विधान हैं। ऐसा क्यों हैं?
यह बात बहुत कम लोगों को मालूम होगी। दरअसल पुराणों में वर्णित है कि जल को ब्रह्म स्वरूप माना गया है। सृष्टि के शुरुआत जल में हुई है, और भविष्य में संभवतः इसका अंत जल में ही होगा। जल बुद्घि और ज्ञान का प्रतीक है।
जल में ही यानी क्षीरसागर में श्रीहरि का निवास है। मान्यता है कि जब जल में देव प्रतिमाओं को विसर्जित किया जाता है, तो देवी देवताओं का अंश मूर्ति से निकलकर वापस देवलोक में चला जाता है। यानी परम ब्रह्म में परमात्मा लीन हो जाते हैं।
यही कारण है कि देवी और देवताओं की मूर्तियों और निर्मल को जल में विसर्जित किया जाता है।जल में गणेश मूर्ति विसर्जित करने के बारे में एक अन्य कथा का भी उल्लेख पुराणों में मिलता है।
कहते हैं जब महाभारत के रचियता वेद व्यास जी ने महाभारत की कथा गणेश जी को गणेश चतुर्थी से लेकर अनन्त चतुर्थी तक लगातार 10 दिन तक सुनाई थी।
यह कथा जब वेद व्यास जी सुना रहे थे, तब लगातार 10 दिन से कथा यानी ज्ञान की बातें सुनते-सुनते गणेश जी का शरीर का तापमान बहुत ही अधिक बढा गया था। उन्हें ज्वर हो गया था। तो तुरंत वेद व्यास जी ने गणेश जी को निकट के कुंड में ले जाकर डुबकी लगवाई, जिससे उनके शरीर का तापमान कम हुआ।