ग्रहण के सूतक के पूर्व से ही सभी मंदिरो के पट बंद हो जाएंगे। ग्रहण के दौरान भोजन करना वर्जित है, परंतु बुजुर्ग व बीमार व्यक्ति भोजन कर सकते है। ग्रहण के दौरान जप हवन व कीर्तन-भजन करना श्रेयस्कर होगा।What You Do To Unar Eclipse Not Have Any Ill Effect in Hindi :- यह ग्रहण…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : चंद्र and चंद्रमा
ग्रहण के सूतक के पूर्व से ही सभी मंदिरो के पट बंद हो जाएंगे। ग्रहण के दौरान भोजन करना वर्जित है, परंतु बुजुर्ग व बीमार व्यक्ति भोजन कर सकते है। ग्रहण के दौरान जप हवन व कीर्तन-भजन करना श्रेयस्कर होगा।
यह ग्रहण यूरोप, एशिया, आस्ट्रेलिया, दक्षिणी अमेरिका सहित पूर्व अफ्रीका मे भी दिखाई पड़ेगा। भारत मे यह ग्रहण पूरी तरह से दृश्यमान होगा।
खगोलीय दृष्टि से चंद्र ग्रहण के समय पृथ्वी अपनी धूरी पर भ्रमण करते हुए चंद्रमा व सूर्य के बीच आ जाती है। ऐसी स्थिति में चंद्रमा का पूरा या आधा भाग ढ़क जाता है। इसी को चंद्र ग्रहण कहते हैं।
इस ग्रहण की उपच्छाया आंखों से नहीं दिखाई देगी। अत: भारत में चंद्रग्रहण की छाया व प्रच्छाया मान्य नहीं है अर्थात इसका कोई धार्मिक अस्तित्व नहीं पड़ेगा। यह चंद्रग्रहण आंशिक रूप से यूरोप, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक और अंटार्कटिका में दिखाई देगा।
ग्रहण को लेकर मान्यताएं
सनातन धर्म में चंद्रग्रहण को अशुभ माना जाता है। सनातन धर्म की मान्यतानुसार चंद्र ग्रहण के समय खान-पान वर्जित माना जाता है। मत्स्य पुराण, भविष्य पुराण व नारद पुराण में चंद्रग्रहण के समय वर्जित बातों का उल्लेख है।
मत्स्य पुराण के अनुसार ग्रहण काल में मंत्र सिद्धि व आराधना का विशिष्ट स्थान है। मान्यतानुसार गर्भवती महिला को ग्रहण के समय बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस काल में राहु व केतु का दुष्प्रभाव बढ्ने से गर्भ में पल रहे बच्चें को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं व गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
मान्यतानुसार इस काल में तेल लगाना, खानपान, बालों में कंघी, ब्रश आदि कार्य वर्जित हैं।
क्या होगा इसका असर
ऐसा माना जाता है कि चंद्रग्रहण कुंवारों के लिए अशुभ माना जाता है क्योंकि चंद्रमा का संबंध शीतलता व सुंदरता से होता है ग्रहण काल में चंद्रमा उग्र हो जाता है जिसका बुरा असर कुवांरे लड़के-लड़कियों पर पड़ता है अत: श्रापित होने पर जो भी कुंवारा लड़का या लड़की उसे देखता है तो उसकी शादी या तो रूक जाती है या बहुत मुश्किलों से तय होती है।
चंद्र ग्रहण केवल पूर्णमासी पर ही लगता है और सूर्य ग्रहण अमावस पर ही दिखेगा। पौराणिक काल से राहू और केतु को समुद्र मंथन से जोड़ा गया है और ज्योतिष इन्हें छाया ग्रह मानता है। भूकंप आने व प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी भी ऐसी खगोलीय घटनाओं से की जाती है।
ज्योतिष शास्त्र न केवल हजारों सालों से यह बताता आया है कि ग्रहण कब लगेंगे बल्कि यह भी बताता है कि धरती तथा धरती वासियों एवं अन्य ग्रहों पर भी ऐसी खगोलीय घटना का क्या प्रभाव पड़ता है। ज्योतिषशास्त्र के दार्शनिक खंड के अनुसार खगोलीय ग्रहण के दौरान समस्त जीवों पर इसका शुभाशुभ प्रभाव पड़ता है।
ज्योतिष व धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में दान-पुण्य व मंत्र जाप का विशिष्ट महत्व बताया गया है। शास्त्रानुसार ग्रहण से पूर्व और ग्रहण के बाद आवश्यक रूप से नहाना चाहिए।
ब्रह्मांड में घटने वाली यह घटना है तो खगोलीय लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी बहुत है। इसे लेकर आम जन मानस में कई तरह के शकुन-अपशकुन भी व्याप्त हैं। पंडितों के अनुसार माना जाता है कि यदि आपकी कुंडली में ग्रहण दोष है तो “ग्रहण दोष शांति पूजा” के लिए यह दिन सर्वोत्तम है. “पितृ दोष शांति ” और “वैदिक चन्द्र शांति पूजा ” के लिए भी यह दिन उपयुक्त माना जाता है।
जिन जातकों की कुंडली में शनि की साढ़े साती या ढईया का प्रभाव चल रहा है, वे शनि मंत्र का जाप करें एवं हनुमान चालीसा का पाठ भी अवश्य करें। जिन जातकों की कुंडली में मांगलिक दोष है, वे इसके निवारण के लिये चंद्रग्रहण के दिन सुंदरकांड का पाठ करें तो इसके सकारात्मक परिणाम मिलेंगें। आटा, चावल, चीनी, श्वेत वस्त्र, साबुत उड़द की दाल, सतनज, काला तिल, काला वस्त्र आदि किसी गरीब जरुरतमंद को दान करें।
ग्रहों का अशुभ फल समाप्त करने और विशेष मंत्र सिद्धि के लिये इस दिन नवग्रह, गायत्री एवं महामृत्युंजय आदि शुभ मंत्रों का जाप करें। दुर्गा चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीमदभागवत गीता, गजेंद्र मोक्ष आदि का पाठ भी कर सकते हैं।
चंद्रग्रहण के समय बरती जाने सावधानियां
भविष्यपुराण, नारदपुराण आदि कई पुराणों में चन्द्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के समय अपनाने वाली हिदायतों के बारें में बताया गया है। चंद्र ग्रहण के समय का आंखों पर असर होता हैं इसी कारण चंद्रग्रहण को भी नहीं देखना चाहिए है जो कि स्वास्थ्य के लिहाज से काफी बुरा है। हिंदू मान्यतानुसार चंद्र ग्रहण के समय कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए।
ऐसा करने से किसी भी प्रकार के बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है। हिन्दू धर्म के अनुसार ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं का बाहर नहीं निकलना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के समय राहु और केतु का दुष्ट प्रभाव बढ़ जाता है।
जिसके दुष्प्रभाव के कारण गर्भ में पल रहे बच्चें को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। चंद्र ग्रहण के समय सर में तेल लगाना, पानी पीना, मल- मूत्र त्याग, बाल में कंघी, ब्रश आदि कार्य नहीं करना चाहिए।
घर में रखे अनाज या खाने को ग्रहण से बचाने के लिए दूर्वा या तुलसी के पत्ते का प्रयोग करना चाहिए। ग्रहण समाप्त होने के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। इसके साथ ही ब्राह्मण को अनाज या रुपया दान में देना चाहिए। यहां यह ध्यान रखना चाहिए कि उपरोक्त बातों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है लेकिन धर्म के अनुसार इन बातों का जिक्र किया जाता है।