पितृ पक्ष के सोलह दिनों में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म कर पितरों को प्रसन्न किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में दान का भी बहुत महत्व है। मान्यता है कि दान से पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है और पितृ दोष भी खत्म हो जाते हैं।Which Item To Donate To…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Commodity donations and Daan karte waqt dhyan and Fortnight of the ancestors and kin saman ka daan nahi karna chahiye and kis din kya daan kare and kya daan kare and kya daan karna chahiye and mandir me daan and Memorial method and namak ka daan and purane kpdo ka kya kre and tula rashi walo ko kya daan karna chahiye and इन वस्तुओं का दान कभी मत करें and दान करते वक़्त ध्यान रखे ये बातें and दान करने से क्या फल मिलता है and न करें ये चीजें दान and पितृ पक्ष and ब्राह्मणों को दान देते समय यह मंत्र बोलना चाहिए and भूलकर भी न करें इन चीजों का दान and ये है श्राद्ध की सबसे आसान विधि and वस्तु दान and श्राद्ध विधि
पितृ पक्ष के सोलह दिनों में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म कर पितरों को प्रसन्न किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में दान का भी बहुत महत्व है। मान्यता है कि दान से पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है और पितृ दोष भी खत्म हो जाते हैं।
श्राद्ध में गाय, तिल, भूमि, नमक, घी आदि दान करने की परंपरा है। इन सभी वस्तुओं को दान करने से अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं। धर्म ग्रंथों में श्राद्ध में दान की गई वस्तु से मिलने वाले फलों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है, लेकिन बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं।
आज हम आपको बता रहे हैं श्राद्ध में क्या वस्तु दान करने से उसका क्या फल प्राप्त होता है-
यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपोयज्ञक्रियादिषु। न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम्।।
आश्विन कृष्ण पक्ष में जिस दिन पूर्वजों की श्राद्ध तिथि आए, उस दिन पितरों की संतुष्टि के लिए श्राद्ध विधि-विधान से करना चाहिए। किंतु अगर आप किसी कारणवश शास्त्रोक्त विधानों से न कर पाएं तो यहां बताई श्राद्ध की सरल विधि से भी श्राद्ध कर सकते हैं-
सुबह उठकर स्नान कर देव स्थान व पितृ स्थान को गाय के गोबर से लीपकर व गंगाजल से पवित्र करें। घर के आंगन में रांगोली बनाएं। महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं। श्राद्ध का अधिकारी श्रेष्ठ ब्राह्मण (या कुल के अधिकारी जैसे दामाद या बहन का पुत्र आदि) को न्योता देकर बुलाएं। ब्राह्मण से पितरों की पूजा एवं तर्पण आदि करवाएं।
पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, दही, घी एवं खीर अर्पित करें। गाय, कुत्ता, कौआ व अतिथि के लिए भोजन से चार ग्रास निकालें। ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन कराएं, मुखशुद्धि, वस्त्र, दक्षिणा आदि से सम्मान करें। ब्राह्मण स्वस्तिवाचन तथा वैदिक पाठ करें एवं गृहस्थ एवं पितर के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करें।