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मंत्र जाप करने वाली माला में 108 मोती ही क्यों होते हैं?

मंत्र जाप करने वाली माला में 108 मोती ही क्यों होते हैं?
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भगवान का मंत्र जाप करने के लिये हमें माला की आवश्‍यकता पड़ती है। पर क्‍या आप जानते हैं कि पूजन मे मंत्र जाप के लिये जो माला उपयोग में लाई जाती हैं, उसमें 108 दाने ही क्‍यूं होते हैं?Why Are There 108 Beads On Mala in Hindi :- इस तरह की किसी भी माला में…

भगवान का मंत्र जाप करने के लिये हमें माला की आवश्‍यकता पड़ती है। पर क्‍या आप जानते हैं कि पूजन मे मंत्र जाप के लिये जो माला उपयोग में लाई जाती हैं, उसमें 108 दाने ही क्‍यूं होते हैं?

Why Are There 108 Beads On Mala in Hindi :-

इस तरह की किसी भी माला में न तो आपको 108 से ज्‍यादा और ना ही कम मोती मिलेंगी। इसके पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं, जिसके बारे में काफी कम लोग जानते हैं।

कहते हैं कि बिना माला के मंत्र जाप का कोई फल प्राप्‍त नहीं होता। हमारे शास्‍त्रों के अनुसार कहा गया है कि, माला के बिना संख्‍याहीन किये जाप का पूर्ण फल प्राप्‍त नहीं हो पाता। अत: जब भी मंत्र जप करें माला का उपयोग अवश्य करना चाहिए।

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शास्‍त्रों के अनुसार एक सामान्य पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति दिनभर में जितनी बार सांस लेता है, उसी से माला के मोतियों की संख्या 108 का संबंध है। मान लीजिये 24 घंटे में एक व्यक्ति 21600 बार सांस लेता है। दिन के 24 घंटों में से 12 घंटे दैनिक कार्यों में व्यतीत हो जाते हैं और शेष 12 घंटों में व्यक्ति 10800 बार सांस लेता है।

इसी समय में देवी-देवताओं का ध्यान करना चाहिए लेकिन यह संभव नहीं हो पाता है। इसीलिए 10800 बार सांस लेने की संख्या से आखिर के दो शून्य हटा कर जाप के लिए 108 संख्या निर्धारित की गई है। इसी संख्या के आधार पर जाप की माला में 108 मोती होते हैं।

इसी तरह दूसरी मान्‍यता के अनुसार, माला के 108 मोती और सूर्य की कलाओं का संबंध है। एक वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है। सूर्य वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है। अत: सूर्य छह माह की एक स्थिति में 108000 बार कलाएं बदलता है।

इसी संख्या 108000 से अंतिम तीन शून्य हटा कर माला के 108 मोती निर्धारित किए गए हैं। माला का 1-1 मोती सूर्य की 1-1 कला का प्रतीक है। सूर्य ही व्यक्ति को तेजस्वी बनाता है, समाज में मान-सम्मान दिलवाता है। सूर्य ही एकमात्र साक्षात दिखने वाले देवता हैं।

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ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है। इन 12 राशियों में 9 ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अत: ग्रहों की संख्या 9 का गुणा किया जाए राशियों की संख्या 12 में तो संख्या 108 प्राप्त हो जाती है। माला के मोतियों की संख्या 108 संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करती है।


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2012-04-14T11:40:34+05:30
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