हम सभी जानते हैं कि दीवाली के दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या पहुंचे थे। उस दिन अयोध्या को दीपों से सजा दिया गया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजन क्यों किया जाता है?Why Do We Perform Laxmi Puja On Diwali in Hindi :- देवताओं और…
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हम सभी जानते हैं कि दीवाली के दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या पहुंचे थे। उस दिन अयोध्या को दीपों से सजा दिया गया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजन क्यों किया जाता है?
देवताओं और दैत्यों ने मिलकर जब समुद्र मंथन किया तो उसमें से 14 रत्न निकले जिसमें देवी लक्ष्मी भी थी। जैसे ही देवी लक्ष्मी समुद्र से बाहर निकली उन्हे पाने के लिए सब आतुर थे। सबसे पहले सन्तों ने देवी लक्ष्मी से आग्रह किया कि आप मेरे पास आ जाओ तो देवी लक्ष्मी ने कहा तुम्हें सात्विक अंहकार है, इसलिए मैं आपके पास नहीं आउंगी। अंहकार मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं है। देवाताओं ने आग्रह किया आप इन्द्र
देवी लक्ष्मी ने कहा मैं आपके पास बिल्कुल नहीं आउंगी। क्योंकि आप देवता बनते हो पुण्य से और पुण्य से देवी लक्ष्मी को प्राप्त नहीं किया जा सकता। फिर देवी लक्ष्मी ने देखा एक ऐसा देव पुरूष है, जो मेरी तरफ ध्यान ही नहीं दे रहा है। देवी लक्ष्मी उनके पास गई तो देखा कि भगवान विष्णु आराम से लेटे हुये थे। देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु के पैर पकड़ के हिलायें तो विष्णु जी बोले क्या बात है।
देवी लक्ष्मी ने कहा मैं आपको वरना चाहती हूं। विष्णु ने कहा स्वागत है। देवी लक्ष्मी जानती थी भगवान विष्णु मेरी रक्षा करेंगे। उसी समय से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु एक हो गये। भगवान विष्णु सृष्टि के पालन कर्ता है, इसलिए वे परिश्रमी व पुरूषार्थी है। देवी लक्ष्मी न अंहकारी के पास जाती है न पुण्य कमाने वाले के पास, वे सिर्फ परिश्रमी व पुरूषार्थी के पास जाती है।