संख्या पढ़कर चौंक गए? परंतु यह सत्य है, शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख है कि भगवान कृष्ण की 16,000 पत्नियां थी। वास्तव में उनकी 16,108 पत्नियां थी। हम सभी जानते हैं कि प्राचीन काल में बहुविवाह प्रथा बहुत लोकप्रिय थी, फिर भी 16,108 की संख्या बहुत अधिक लगती है।Why Lord Krishna Had 16…
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संख्या पढ़कर चौंक गए? परंतु यह सत्य है, शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख है कि भगवान कृष्ण की 16,000 पत्नियां थी। वास्तव में उनकी 16,108 पत्नियां थी। हम सभी जानते हैं कि प्राचीन काल में बहुविवाह प्रथा बहुत लोकप्रिय थी, फिर भी 16,108 की संख्या बहुत अधिक लगती है।
भारतीय पौराणिक कथाओं में कई ऐसी कहानियाँ हैं जो काफी रोचक हैं। भगवान कृष्ण अपने चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं जिनकी रोचक कहानियाँ हमारे मन में कुतूहल उत्पन्न करती है। राधा के साथ उनका आत्मिक प्रेम, आठ सुन्दर राजकुमारियों से विवाह तथा फिर भी 16,000 और अधिक पत्नियां निश्चित रूप से हमें आश्चर्यचकित कर यह जानने के लिए मजबूर कर देते हैं कि इन सब के पीछे क्या कारण होगा। यदि हम शास्त्रों में देखें तो हम देखेंगे कि भगवान कृष्ण से राधा से कभी भी विवाह नहीं किया था।
परन्तु उन्होंने आठ महिलाओं से शादी की। उनकी आठ पत्नियों के नाम रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती, कालिंदी, मित्रविंदा, नाग्नाजिती, भद्रा और लक्ष्मणा थे। उनमें से सत्यभामा और रुक्मिणी प्रसिद्ध हैं।
अब 16,000 पत्नियों की कहानी की ओर बढ़ते हैं। हम सभी जानते हैं कि भगवान कृष्ण एक चमत्कारी राजा थे। उनके साथ जो कुछ भी हुआ उसके पीछे कोई न कोई कारण था। अत: यह कहना सही नहीं होगा कि 16,108 पत्नियां कृष्ण लीला का एक हिस्सा थी। अत: ऐसी क्या परिस्थिति हुई कि भगवान कृष्ण को 16,000 महिलाओं से विवाह करना पड़ा? आइए देखें।
नरकासुर प्रग्ज्योतिषा का राजा था। यह स्थान अब असम के नाम से जाना जाता है। वह विष्णु के सूअर अवतार वराह और पृथ्वी की देवी भूमि देवी का पुत्र था। भूमि का पुत्र होने के कारण उसे भौम या भौमासुर भी कहा जाता था। उसने स्वर्ग, धरती और पाताल तीनों विश्व पर कब्ज़ा कर लिया था। उसने पृथ्वी पर जिन 16,000 देशों पर विजय प्राप्त की थी उन देशों की राजकुमारियों को कैद कर लिया था। स्वर्ग में उसने स्वर्ग और देवों के देव इंद्रदेव की मां अदिति के कान के बाले (इयररिंग) चुराए। पाताल में उसने पानी के देवता वरुण का शाही छाता चुरा लिया।
उसने राजकुमारियों को एक पर्वत पर बंदी बना कर रखा। इसी दौरान इंद्र ने अदिति के कान के बाले वापस लाने तथा विश्व को इस राक्षस की क्रूरता से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान कृष्ण से नरकासुर के साथ युद्ध करने की याचना की। अत: भगवान कृष्ण ने राक्षस का वध कर दिया।
नरकासुर की मृत्यु के पश्चात भूमि देवी ने सभी चुराई हुई चीज़ें कृष्ण को वापस कर दीं जिसमें 16,000 महिलायें भी शामिल थी। श्री कृष्ण ने उन्हें मुक्त कर दिया परन्तु उन महिलाओं से इसका पालन नहीं किया।
प्राचीन काल में जब कोई राजा किसी अन्य राज्य की महिला का अपहरण कर लेता था तो राजा के परास्त होने के बाद भी उस महिला को राज्य में वापस नहीं लिया जाता था। उन्हें एक कलंकित और शर्मनाक जीवन व्यतीत करना पड़ता था क्योंकि ऐसा माना जाता था कि किसी दूसरे व्यक्ति ने उन्हें स्पर्श किया है। नरकासुर की कैद में रहने वाली 16,108 महिलाओं को भी यह सहन करना पड़ा। अत: उन सभी ने भगवान कृष्ण से प्रार्थना की कि वे उन सभी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लें।
अत: भगवान कृष्ण ने उन सभी से विवाह कर लिया। भागवत पुराण में विवाह के बाद कृष्ण की पत्नियों के जीवन के बारे में बताया गया है। प्रत्येक पत्नी को एक घर और सौ दासियाँ दी गयी थीं। कृष्ण ने स्वयं को कई रूपों में बाँट लेते थे तथा इस प्रकार रात में प्रत्येक पत्नी के साथ रहते थे। सुबह उनके सभी रूप मिलकर कृष्ण बन जाते और वे द्वारका के राजा रूप में आ जाते। कृष्ण की प्रत्येक पत्नी व्यक्तिगत तौर पर उन्हें नहला कर, सजा कर, पंखा झलकर, उन्हें उपहार और फूलों की माला देकर उनकी पूजा करती थी।
एक कथा के अनुसार एक बार उपद्रवी मुनि नारद ने कृष्ण से प्रार्थना की कि वे अपनी पत्नियों में से एक पत्नी उन्हें दे दें क्योंकि वे कुंवारें हैं। कृष्ण ने उनसे कहा कि आप किसी भी पत्नी को उस समय जीत कर दिखाएँ जब मैं (कृष्ण) उनके साथ न रहूँ। नारद कृष्ण की सभी 16,108 पत्नियों के घर गए परन्तु सभी घरों में कृष्ण उपस्थित थे। इस पारकर नारद कुंवारें रह गए।
इस घटना को देखकर नारद आश्वस्त हो गए कि भगवान कृष्ण के रूप में एक देवत्व था, एक पूर्ण और विविध आकार वाली अभिव्यक्ति जो एक ही समय में अपनी 16,000 पत्नियों के साथ का आनंद उठा रही थी। यही कारण है कि भगवान कृष्ण को सर्वशक्तिमान माना जाता है जो किसी न किसी रूप में अपने भक्तों के साथ रहते हैं जैसे वे अपनी 16,108 पत्नियों के साथ रहते थे।