मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं। कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम्।। श्रीगणेशपंचरत्न १Why Modaks Are Offered To Ganesh in Hindi :- मोदक यानी जो मोद (आनन्द) देता है, जिससे आनन्द प्राप्त हो, संतोष हो, इसका गहरा अर्थ यह है कि तन का आहार हो या मन के विचार वह सात्विक और शुद्ध होना जरुरी है। तभी आप जीवन का वास्तविक…
मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं।
कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम्।।
श्रीगणेशपंचरत्न १
मोदक यानी जो मोद (आनन्द) देता है, जिससे आनन्द प्राप्त हो, संतोष हो, इसका गहरा अर्थ यह है कि तन का आहार हो या मन के विचार वह सात्विक और शुद्ध होना जरुरी है। तभी आप जीवन का वास्तविक आनंद पा सकते हैं।
मोदक ज्ञान का प्रतीक है।
इसे थोड़ा और धीरे-धीरे खाने पर उसका स्वाद और मिठास अधिक आनंद देती है और अंत में मोदक खत्म होने पर आप तृप्त हो जाते हैं, उसी तरह ऊपरी और बाहरी ज्ञान व्यक्ति को आनंद नही देता परंतु ज्ञान की गहराई में सुख और सफलता की मिठास छुपी होती है।
इस प्रकार जो अपने कर्म के फलरूपी मोदक प्रभु के हाथ में रख देता है उसे प्रभु आशीर्वाद देते हैं।
जिस प्रकार ये बाहर से कडा एवं भीतर से नरम एवं मिठास से भरा होता है। उसी प्रकार घर का मुखीया यदि अपने धर्म का पालन करता है । उपर से सख्ती से नियमों का पालन करवाएं एवं भीतर से नरम रहकर सभी का पालन पोषण करे तो उस घर में सुख व्याप्त होता है।
धार्मिक आख्यानों के अनुसार भगवान शिव ने मोदक को परिभाषित किया है, जिसका बाहरी आवरण कठोर एवं भीतर से नरम एवं मधुर होता है।
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