पेड़ों की पूजा करने की परंपरा पौराणिक कथाओं पर आधारित है, और कुछ धार्मिक मान्यताओं के कारण ऐसा करते हैं। इसके अलावा जो लोग ऐसा नहीं करते हैं वे भी पेड़ों के अनेक गुणों और फ़ायदों के कारण उनकी प्रशंसा करते हैं, पेड़ हमें फल, फूल, ताजी ऑक्सीज़न और छाया प्रदान करते हैं। हिन्दू पौराणिक…
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पेड़ों की पूजा करने की परंपरा पौराणिक कथाओं पर आधारित है, और कुछ धार्मिक मान्यताओं के कारण ऐसा करते हैं। इसके अलावा जो लोग ऐसा नहीं करते हैं वे भी पेड़ों के अनेक गुणों और फ़ायदों के कारण उनकी प्रशंसा करते हैं, पेड़ हमें फल, फूल, ताजी ऑक्सीज़न और छाया प्रदान करते हैं। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार लोग अलग-अलग कारणों से पेड़ों की पूजा करते हैं। ये सभी कारण आध्यात्मिक भावना से किए गए रीति रिवाजों से जुड़े हुये हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार बरगद और पीपल के पेड़ की ज्यादा पूजा की जाती है।
भगवान विष्णु की पूजा – ब्रह्म पुराण और पद्म पुराण के अनुसार जब राक्षसों ने भगवान विष्णु पर आक्रमण कर दिया था तो वे पीपल के पेड़ में छिप गए थे। इसलिए लोगों की मान्यता है कि पीपल के पेड़ की पूजा करना, बिना किसी मूर्ति और मंदिर के भगवान विष्णु की पूजा है।
त्रिमूर्ति अवधारणा – कुछ लोग मानते हैं कि पवित्र पेड़ ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) का मिश्रित रूप है। इसलिए उनका मानना है कि जब वे पेड़ों की पूजा करते हैं तो उन्हें इन तीनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
तीन लोक की अवधारणा – पेड़ों की बनावट के अनुसार उनका संबंध स्वर्ग पृथ्वी और पाताल तीनों लोकों से हैं। लोगों की मान्यता है कि पेड़ों को चढ़ाई हुई चीज इन तीनों लोकों में पहुँचती है।
पंचवृक्ष – भगवान इन्द्र के बगीचे में जो पाँच पेड़ थे वो हैं मंदारा (इरेथ्रीनास्ट्रीक्टा) परिजता (नायक्टेन्थेस अबरोर त्रिस्टिस), समतानका हरिचन्दन संतालुम अल्बुम और कल्पवृक्ष या कल्पतरु। जब पेड़ों की पूजा की बात आती है तो इस पौराणिक संदर्भ का उदाहरण भी दिया जाता है।
संतों से संबंध – पूजा किए जाने वाले कुछ पेड़ों का संबंध महान संतों से होने के कारण इन्हें पवित्र माना जाता है। बरगद को पवित्र माना जाता है क्यों कि मार्कन्डेय ने अपने आप को इस पेड़ की शाखाओं से छिपाया था, साल का पेड़ इसलिए पवित्र है क्यों कि इसका संबंध भगवान बुद्ध के जन्म और मृत्यु से जुड़ा हुआ है।
लंबे वैवाहिक जीवन के लिए – भारत के कई हिस्सों में कुछ लड़कियों की युवावस्था में प्रतीकात्मक रूप से पीपल के पेड़ से शादी की जाती है ताकि उनका वैवाहिक जीवन लंबा चले। इसके लिए एक धागे को पेड़ के तने से बांधा जाता है और 108 बार इसकी परिक्रमा की जाती है, पेड़ पर चन्दन का लेप लगाया जाता है और मिट्टी का दीपक जलाया जाता है।
भगवान को चढ़ावा – कुछ पेड़ों को पवित्र इसलिए माना जाता है क्यों कि हम उन विशेष पेड़ों की पत्तियाँ, फूल और फल भगवान को चढ़ाते हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे पेड़ भी हैं जिनको पूजा में इस्तेमाल किया जाना वर्जित है।