संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को किया जाता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। इसी दिन जाम्बवती के साथ श्यामसुंदर और पुत्र साम्ब की पूजा भी की जाती है।Why Worship Of Samba in Hindi :- माताएं पार्वती का पूजन करके पुत्र प्राप्ति तथा उसकी लंबी…
यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Indian festival and Samba
संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को किया जाता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। इसी दिन जाम्बवती के साथ श्यामसुंदर और पुत्र साम्ब की पूजा भी की जाती है।
माताएं पार्वती का पूजन करके पुत्र प्राप्ति तथा उसकी लंबी आयु का वरदान मांगती हैं। इस व्रत को ‘मुक्ताभरण’ भी कहते हैं।
कौन थे साम्ब
पुराणों के अनुसार साम्ब, भगवान श्रीकृष्ण और जाम्बवती के पुत्र थे। एक बार महर्षि विश्वामित्र, कण्व आदि ऋषि द्वारका गए। तब उन ऋषियों का परिहास करने के उद्देश्य से सारण, वीर कृष्ण पुत्र अपने भाई साम्ब को स्त्रियों के वस्त्र पहनाकर उनके पास ले गए और पूछा कि इस स्त्री के गर्भ से क्या उत्पन्न होगा।
ऋषि गुस्सा हो गए । उन्होंने श्राप दिया कि श्रीकृष्ण का ये पुत्र वृष्णि और अंधकवंशी पुरुषों का नाश करने के लिए लोहे का एक भयंकर मूसल उत्पन्न करेगा, जिसके द्वारा समस्त यादव कुल का नाश हो जाएगा।
ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि महाभारत के युद्ध के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण गांधारी को सांत्वना देने पहुंचे तो अपने पुत्रों का विनाश देखकर गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जिस प्रकार पांडव और कौरव आपसी फूट के कारण नष्ट हुए हैं, उसी प्रकार तुम भी अपने बंधु-बांधवों का वध करोगे।
आज से छत्तीसवें वर्ष तुम अपने बंधु-बांधवों व पुत्रों का नाश हो जाने पर एक साधारण कारण से अनाथ की तरह मारे जाओगे। गांधारी के श्राप के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण के परिवार का अंत हुआ।
साम्ब के परिहास के कारण उसका अंत हुआ। ऐसा किसी के साथ न हो प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इसीलिए संतान सप्तमी में भगवान श्रीकृष्ण, जाम्बवती के साथ साम्ब की पूजन का विधान है।