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अद्भुत हैंगिंग लेपाक्षी टेम्पल

अद्भुत हैंगिंग लेपाक्षी टेम्पल
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Hanging Lepakshi Temple, Andhra Pradesh, History in Hindi : लेपाक्षी आंध्रप्रदेश राज्य के अनंतपुर में स्तिथ एक छोटा सा गाँव है। पौराणिक मान्यता है की यह रामायणकालीन वही जगह है जहाँ रावण से युद्ध के पश्चात घायल हो के जटायू गिरा था।  यह गाँव 16 वि शताब्दी में बने अपने कलात्मक लेपाक्षी मंदिर के लिए…

यह आलेख निम्नलिखित के बारे में जानकारी प्रदान करता है : Bhaktakannappa and  Dung of Lime stone and  Imprints of Plates and  Large Mandapam and  Lepakshi Nandi and  LORD GANESHA and  Magnificent Mural and  Rama Padam and  Shiv Linga with Seven Headed Naga and  Shiv Painting at Roof top and  अद्भुत भित्ति चित्र and  छत पर शिव पेंटिंग and  भक्तकन्नप्पा and  भगवान गणेश and  भगवान विष्णु and  राम पदम and  लाइमस्टोन का ढेर and  लेपाक्षी नंदी and  विशाल नाग लिंग प्रतिमा and  विशाल मंडप and  शिव काल की प्लेटों के निशान  

Hanging Lepakshi Temple, Andhra Pradesh, History in Hindi : लेपाक्षी आंध्रप्रदेश राज्य के अनंतपुर में स्तिथ एक छोटा सा गाँव है। पौराणिक मान्यता है की यह रामायणकालीन वही जगह है जहाँ रावण से युद्ध के पश्चात घायल हो के जटायू गिरा था।  यह गाँव 16 वि शताब्दी में बने अपने कलात्मक लेपाक्षी मंदिर के लिए जाना जाता है। यह मंदिर काफी बड़ा है तथा इस मंदिर परिसर में भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान वीरभद्र को समर्पित तीन मंदिर है।

Wonder Of Hanging Lepakshi Temple in Hindi :-

लेपाक्षी मंदिर को हैंगिंग पिलर टेम्पल के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर कुल 70 खम्भों पर खड़ा है जिसमे से एक खम्भा जमीन को छूता नहीं है बल्कि हवा में ही लटका हुआ है। इस एक झूलते हुए खम्भे के कारण इसे हैंगिंग टेम्पल कहा जाता है। यह पिलर भी पहले जमीन से जुड़ा हुआ था पर एक ब्रिटिश इंजीनियर ने यह जानने के लिए की यह मंदिर पिलर पर कैसे टिका हुआ हुआ है, इसको हिला दिया तब से यह पिलर झूलता हुआ ही है। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है की इसके नीचे से कपडा निकलने से सुख सृमद्धि बढ़ती है।

1583 में हुआ था निर्माण

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इस मंदिर का निर्माण 1583 में दो भाइयों विरुपन्ना और वीरन्ना ने करा था जो की विजयनगर राजा के यहाँ काम करते थे। हालांकि पौराणिक मान्यता यह है की लेपाक्षी मंदिर परिसर में स्तिथ विभद्र मंदिर का निर्माण ऋषि अगस्तय ने करवाया था।

एक अन्य मान्यता यह है की यह रामायणकालीन वही स्थान है जहाँ रावण से युद्ध के पश्चात घायल हो के जटायू गिरा था। जब राम सीता को तलाशते हुए वहां पहुंचे तो उन्होंने उस घायल पक्षी को देख कर कहा ले पाक्षी यानी की उठो पक्षी। ले पाक्षी एक तेलगु शब्द है।

लेपाक्षी मंदिर में देखने लायक कई चीज़े है जो की कलात्मक दृष्टि से बेहद उत्कृष्ट है।

लेपाक्षी नंदी – नंदी की सबसे विशाल प्रतिमा (Lepakshi Nandi – Largest Statue of Nandi) :

{ पढ़ें :- गणपति बप्पा की ये प्रतिमा दिखने में बहुत छोटी है लेकिन इसकी कीमत है 600 करोड़ ! }

लेपाक्षी मंदिर से 200 दूर मेन रोड पर एक ही पत्थर से बनी विशाल नंदी प्रतिमा है जो की 8. 23 मीटर (27 फ़ीट) लम्बी, 4.5 मीटर (15 फ़ीट) ऊंची है। यह एक ही पत्थर से बनी नंदी की सबसे विशाल प्रतिमा है जबकि एक ही पत्थर से बनी दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है (प्रथम स्थान गोमतेश्वर की मूर्ति का है)।

विभद्र मंदिर परिसर में एक ही पत्थर से बनी विशाल नागलिंग प्रतिमा भी स्थापित है जो की संभवतया सबसे विशाल नागलिंग प्रतिमा हैं। इस काले ग्रेनाइट से बनी प्रतिमा में एक शिवलिंग के ऊपर सात फन वाला नाग फन फैलाय बैठा है।

राम पदम  (Rama Padam or Rama Footprint) :

विभद्र मंदिर परिसर में स्तिथ राम पदम जबकि कइयों का मानना है की यह माता सीता के पैरों के निशाँ है।

कहा जाता है की यह शिव काल में प्रयोग में ली गई प्लेटों और बर्तनो के निशान साथ में है भगवान राम के पद चिन्ह। जबकि कुछ अन्यों की मान्यता है की यह विशाल कलर प्लेटे है जो की यहाँ चित्रकारी करने में काम ली गई थी।

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एक ही चट्टान में उत्कीर्ण भगवान गणेश की भव्य प्रतिमा।

मंदिर में बने विशाल गलियारों का एक द्रश्य।

मंदिर परिसर में एक जगह मंदिर निर्माण के दौरान बचे चुने पत्थर का एक ढेर है जिसकी भी श्रद्धालु पूजा करते है।

मंदिर की छत पर बनी आकर्षक शिव पेंटिंग।


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2012-02-17T22:57:31+05:30
Indian Spiritual Team
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