नवरात्रि के तीसरे दिन हम मां दुर्गा जी की तीसरी शक्ति चंद्रघंटा जी की पूजा की जाती है। इस पूजा का काफी अधिक महत्व है क्योंकि इस दिन भक्त का मन ‘मणिपूर’ चक्र में प्रविष्ट होता है।Worship Maa Chandraghanta On The Third Day Navratri in Hindi :- माँ चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के…
नवरात्रि के तीसरे दिन हम मां दुर्गा जी की तीसरी शक्ति चंद्रघंटा जी की पूजा की जाती है। इस पूजा का काफी अधिक महत्व है क्योंकि इस दिन भक्त का मन ‘मणिपूर’ चक्र में प्रविष्ट होता है।
माँ चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं, दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है तथा विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियाँ सुनाई देती हैं। ये क्षण भक्त के लिए अत्यंत सावधान रहने के होते हैं।
कहते हैं कि जो भक्त मां चंद्रघंटा की पूजा मन और विश्वास से करता है, उसके समस्त पाप और बाधाएं खतम हो जाती हैं। इनकी अराधना से आपको जरुर फल प्राप्त हेागा तथा आपके सभी कष्टों का निवारण भी शीघ्र होगा।
इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों को प्रेतबाधा से रक्षा करती है। इनका ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिए इस घंटे की ध्वनि निनादित हो उठती है।
माँ का स्वरूप अत्यंत सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण रहता है। इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया में कांति-गुण की वृद्धि होती है। माँ चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहाँ भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति और सुख का अनुभव करते हैं।
माँ चंद्रघंटा का आर्शिवाद पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें-
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।
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